UGC/NET/JRF/2018 PAPER/PYQ/HINDI SHAHITYA..
ब्रजभाषा, कन्नौजी , बुंदेली एवं मगही में से पश्चिमी हिन्दी की बोली नहीं हैः- मगही ।
सिद्ध-साहित्य के अंतर्गत चौरासी सिद्धों की वे साहित्यिक
रचनाएं आती हैं,---जो तत्कालीन लोक भाषा हिन्दी में लिखी गई हैं।
कबीर के निर्गुण पंथ का आधार भारतीय वेदांत और सूफियों का
प्रेम तत्व है । यह विचार है - रामचन्द्र शुक्ल का हैं।
'केवल' प्रेम लक्षणा भक्ति' का आधार ग्रहण करने के कारण कृष्ण भक्ति शाखा में अश्लील विलासिता
की प्रवृत्ति जाग्रत हुई । यह विचार रामचन्द्र शुक्ल का
प्राणचंद चौहान के संबंध है----राम भक्ति शाखा से
भंवर गीत' रचना हैः- नंददास की।
राजनीतिक रूप से रीतिकाल है मुगल काल के वैभव के चरमोत्कर्ष
के बाद उत्तरोत्तर ह्रास और पतन का युग।
प्रेम संपत्तिलता, श्यामालता, श्यामा सरोजिनी एवं प्रेम प्रलाप में से ठाकुर जगन्मोहन
सिंह की रचना नहीं है'--'प्रेम प्रलाप'(भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की कृति है ) ।
'बगियान बसंत बसेरो कियो ,
बसिए ,
तेहि त्यागि तपाइए ना
।
दिन काम-कुतूहल के जो बने,
तिन बीच बियोग बुलाइए ना।।'
........पंक्तियों के रचनाकार हैं---- बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन ।
आज रात इससे परदेशी चल कीजे विश्राम यहीं ।
जो कुछ वस्तु कुटी में मेरे करो ग्रहण ,
संकोच नहीं ।।
पंक्तियों के रचनाकार हैं----श्रीधर पाठक ।
बर्बरता की पहली सीढ़ी से सभ्यता की अंतिम सीढ़ी तक युद्ध
मनुष्य जाति का साथ देता आया है । यह कथन उद्धृत -- -युद्ध और नारी निबंध से ।
ग्रामोफोन का रिकॉर्ड ,
नीलम देश की राजकन्या
,
बाहुबली एवं
दृष्टिपात कहानी में अति व्यस्त कामकाजी आदमी की असंतुष्ट पत्नी को विषयवस्तु
बनाया गया है ----ग्रामोफोन का रिकॉर्ड कहानी में।
नूतन ब्रह्मचारी, परीक्षा गुरु , आदर्श दम्पती एवं प्रणयिनी परिणय उपन्यास में " रईस
साहूकार मदनमोहन के अंग्रेजी सभ्यता की नकल और अपव्यय की कथा" है----- परीक्षा
गुरु।
कल्याणी परिणय , राज्यश्री , स्कन्दगुप्त एवं अजातशत्रु में से पर्णदत्त पात्र है,
जयशंकर प्रसाद के
नाटक-----स्कन्दगुप्त का।
हिन्दी साहित्य : बीसवीं शताब्दी'
आलोचना ग्रंथ के लेखक
हैं - नंददुलारे बाजपेयी।
स्थापना (A) : मानव और प्रकृति के बीच समानता,
पूर्व सम्पर्क ,
पूरकता या विरोध भाव
में मिथक सृजन के सूत्र विद्यमान होते हैं ।
तर्क (R) : क्योंकि प्रकृति में अलौकिकता और दिव्यशक्ति है और मानव
कल्पना तथा प्रकृति के मध्य सीधा और अनिवार्य संबंध है । -
(A) सही (R सही
स्थापना (A) : स्वच्छन्दतावाद छायावाद और रहस्सवाद का पर्यय ही है ।
तर्क (R) : क्योंकि यह द्विवेदी युगीन शास्त्रीयता की प्रतिक्रिया
स्वरूप वैयक्तिक कल्पनातिरेक और निजी रहस्यानुभूति का प्रतिफलन है ।
(A) गलत (R) सही
स्थापना (A : अद्वैतवाद आत्मतत्व का विस्तार है ।
तर्क (R) : क्योंकि वह जीव और जगत की पृथक सत्ता को स्वीकार करता है ।
(A) सही (R) गलत
स्थापना (A) : आधुनिकता कोई शाश्वत मूल्य नहीं ,
वह मूल्यों के
परिवर्तन का पर्याय है ।
तर्क (R : क्योंकि बदलाव की प्रक्रिया में हर युग आधुनिक होता है ।
(A) सही (R सही
स्थापना (A) : देश भक्ति , संस्कृति - राग , चरित्रों की उदात्तता ,
भाषिक गरिमा और लम्बी
कालावधि के विस्तृत कथानक के कारण जयशंकर प्रसाद का '
चंद्रगुप्त '
महाकाव्योचित औदात्य
से परिपूर्ण नाटक है ।
तर्क (R) : साथ ही उसमें ब्रेख के महानाट्य ( एपिक
थियेटर ) की सम्पूर्ण विशेषताएँ भी मिलती हैं ।
(A) सही (R) गलत।
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