Saturday, 15 May 2021

 Ugc/net/jrf/ हिंदी साहित्य महत्वपूर्ण काव्य पंक्तियाँ

'जो जिण सासण भाषियउ सो भइ कहियड सारु ।

जो पालइ सइ भाउ करि सो सरि पावइ पारु ॥ "

- देवसेन ( श्रावकाचार )'..

 पंडिअ सअल सत्त बक्खाणइ । देहहि रुद्ध बसंत न जाणइ ।

अमणागमण ण तेन विखंडिअ । तो वि णिलज्जइ भणइ हउँ पंडिय ॥ " -सरहपा '

जहि मन पवन न संचरइ , रवि ससि नाहि पवेश ।

तहि वत चित्त विसाम करु , सरेहे कहिअ उवेश ॥ " -सरहपा

"घोर अधारे चंदमणि जिमि उज्जोअ करेइ । परम महासुह एषु कणे दुरिअ अशेष हरेइ ॥ " - सरहपा "

काआ तरुवर पंच विडाल " -लूइपा "

भाव न होइ, अभाव ण जाइ -लूइपा

"सहजे थर करि वारुणी साध " -विरुपा.

'एक्क ण किज्जइ मंत्र ण तंत" -कण्हपा

"हालो डोंबी ! तो पुछमि सदभावे सदगुरु पाअ पए जाइब पुणु जिणउरा" –कण्हपा..

'भल्ला हुआ जो मारिया" -हेमचन्द्र

"पिय संगमि कउ निद्दड़ी" -हेमचन्द्र

"गंगा जउँना माझे बहइ रे नाई" -डोम्भिपा  

'नगर बाहिरे डोंबी तोहरि कुडिया छइ" " छोइ जाइ सो बाह्य नाड़िया ॥ "- कण्हपा

"जिमि लोण बिलिज्जइ पाणि एहि तिमि धरणी लइ चित्त " -कण्हपा

"देसिल बयना सब जन मिट्ठा । ते तैसन जंपओ अवहट्ठा ॥ " - विद्यापति

"हिन्दू बोले दूरहि निकार । छोटे तरुका भभकी मार ॥ " -विद्यापति ( कीर्तिलता से  .

'मनहु कला ससभान कला सोलह सो बन्निय "

"विगसि कमलसिंग , भ्रमर , बेन , खंजन मृग लुट्टिय " -पृथ्वीराज रासो से

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