Ugc/net/jrf/ हिंदी साहित्य महत्वपूर्ण काव्य पंक्तियाँ
'जो जिण सासण भाषियउ सो भइ कहियड सारु ।
जो पालइ सइ भाउ करि सो सरि पावइ पारु ॥ "
- देवसेन ( श्रावकाचार )'..
पंडिअ सअल सत्त बक्खाणइ । देहहि रुद्ध बसंत न जाणइ ।
अमणागमण ण तेन विखंडिअ । तो वि णिलज्जइ भणइ हउँ पंडिय ॥
" -सरहपा '
जहि मन पवन न संचरइ , रवि ससि नाहि पवेश ।
तहि वत चित्त विसाम करु ,
सरेहे कहिअ उवेश ॥
" -सरहपा
"घोर अधारे चंदमणि जिमि उज्जोअ करेइ । परम महासुह एषु
कणे दुरिअ अशेष हरेइ ॥ " - सरहपा "
काआ तरुवर पंच विडाल " -लूइपा "
भाव न होइ, अभाव ण जाइ -लूइपा
"सहजे थर करि वारुणी साध " -विरुपा.
'एक्क ण किज्जइ मंत्र ण तंत" -कण्हपा
"हालो डोंबी ! तो पुछमि सदभावे सदगुरु पाअ पए जाइब
पुणु जिणउरा" –कण्हपा..
'भल्ला हुआ जो मारिया" -हेमचन्द्र
"पिय संगमि कउ निद्दड़ी" -हेमचन्द्र
"गंगा जउँना माझे बहइ रे नाई" -डोम्भिपा
'नगर बाहिरे डोंबी तोहरि कुडिया छइ" " छोइ जाइ सो
बाह्य नाड़िया ॥ "- कण्हपा
"जिमि लोण बिलिज्जइ पाणि एहि तिमि धरणी लइ चित्त
" -कण्हपा
"देसिल बयना सब जन मिट्ठा । ते तैसन जंपओ अवहट्ठा ॥
" - विद्यापति
"हिन्दू बोले दूरहि निकार । छोटे तरुका भभकी मार ॥
" -विद्यापति ( कीर्तिलता से .
'मनहु कला ससभान कला सोलह सो बन्निय "
"विगसि कमलसिंग , भ्रमर , बेन , खंजन मृग लुट्टिय " -पृथ्वीराज रासो से
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