1.
हिन्दी
साहित्य के इतिहास लेखन का सबसे पहला प्रयास फ्रेंच विद्वान गार्सां द तासी ने
किया । गार्सा द तासी ने अपनी पुस्तक की रचना फ्रेंच भाषा में की ।
2.
तासी
ने अपनी पुस्तक का नाम 'इस्त्वार दलालितरेत्युर ऐन्दुई ऐन्दुस्तानी'
रखा है । यह पुस्तक
दो भागों में विभक्त है जिसका प्रकाशन क्रमशः 1839 ई ० तथा 1847 ई ० में हुआ । यह
ग्रन्थ ग्रेट ब्रिटेन और आयरलैंड की प्राच्य साहित्य - अनुवादक समिति की ओर से
पेरिस में मुद्रित किया गया ।
3.
इस्त्वार
द ला लितरेत्युर ऐन्दुई ऐन्दुस्तानी ' द्वितीय संस्करण में तीन भागों में विभक्त हो गया,
जिसका प्रकाशन सन्
1871 ई ० में हुआ । तासी ने अपनी पुस्तक में हिन्दी और उर्दू के अनेक कवियों का
विवरण अंग्रेजी वर्णक्रमानुसार दिया है । गार्सा द तासी के ग्रन्थ में कुल 738 कवि हैं जिनमें हिन्दी के 72 तथा
शेष उर्दू के हैं ।
4.
डॉ
. लक्ष्मीसागर वार्ष्णेय ने तॉसी के ग्रन्थ का हिन्दी - अनुवाद '
हिन्दुई साहित्य का
इतिहास ' नाम
से प्रकाशन सन् 1952 ई ० में कराया ।
5.
तासी
की पुस्तक ' इस्त्वार द ला लितरेत्युर ऐन्दुई ऐन्दुस्तानी '
में '
ऐन्दुई '
के लिए हिन्दवी (
हिन्दी ) और ' ऐन्दुस्तानी ' के लिए हिन्दुस्तानी ( उर्दू ) अर्थ प्रयुक्त होता है ।
6.
हिन्दी
साहित्येतिहास लेखन की परम्परा में हिन्दी भाषा में लिखा प्रथम ग्रन्थ श्री
महेशदत्त शुक्ल द्वारा रचित ' भाषा काव्य संग्रह ' है ।
7.
भाषा
काव्य संग्रह का प्रकाशन सन् 1873 ई ० में नवल किशोर प्रेस ,
लखनऊ से हुआ ।
8.
शिव
सिंह सेंगर ने ' शिव सिंह सरोज ' नाम से हिन्दी भाषा में दूसरा महत्त्वपूर्ण इतिहास ग्रन्थ
रचा । 'शिव सिंह सरोज ' का प्रकाशन 1883 ई ० में हुआ । 'शिव सिंह सरोज ' में एक सहस्र ( 838 कवि ) भाषा कवियों '
का जीवन - चरित तथा
उनकी कविताओं के उदाहरण दिये गये हैं ।
9.
सन्
1888 ई ० में एशियाटिक सोसायटी ऑफ बंगाल की पत्रिका के विशेषांक के रूप में
ग्रियर्सन द्वारा रचित ' द माडर्न वनेक्युलर लिटरेचर ऑफ हिन्दुस्तान '
का प्रकाशन हुआ ।
10.
जार्ज
ग्रियर्सन द्वारा रचित '
द माडर्न वर्नेक्युलर
लिटरेचर ऑफ हिन्दुस्तान ' की सच्चे अर्थों में हिन्दी साहित्य का पहला इतिहास ग्रन्थ
माना जाता है ।
11.
ग्रियर्सन
ने अपने ग्रन्थ में 952 कवियों
को शामिल किया है ।
12.
डॉ.
किशोरीलाल गुप्त ने 'द माडर्न वर्नेक्युलर लिटरेचर ऑफ हिन्दुस्तान 'की ' हिन्दी साहित्य का प्रथम इतिहास'
शीर्षक से हिन्दी अनुवाद किया ।
जिसका प्रकाशन सन् 1957 ई ० में हुआ
13.
ग्रियर्सन
ने कवियों और लेखकों का कालक्रमानुसार वर्गीकरण तथा उनकी प्रवृत्तियों को स्पष्ट
किया ।
14. विभिन्न युगों की काव्य प्रवृत्तियों की व्याख्या करते हुए
उनसे सम्बन्धित सांस्कृतिक परिस्थितियों व प्रेरणा स्रोतों का उद्घाटन किया ।
15. प्रस्तुत ग्रन्थ को विभिन्न काल - खण्डों में विभक्त किया
गया है तथा प्रत्येक अध्याय काल विशेष का सूचक है ।
16. जार्ज ग्रियर्सन ने प्रथम बार हिन्दी साहित्य का भाषा की
दृष्टि से क्षेत्र -निर्धारण करते हुए संस्कृत - प्राकृत एवं अरबी - फारसी मिश्रित
उर्दू को उससे पृथक् किया ।
17.
हिन्दी
साहित्य के विकास क्रम का निर्धारण चारण काव्य ,
धार्मिक काव्य ,
प्रेमकाव्य ,
दरबारी काव्य के रूप
में किया गया है ।
18.
16 वीं -17 वीं शताब्दी के युग ( भक्तिकाल ) को
हिन्दी काव्य का स्वर्ण युग मानना ग्रियर्सन की महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है ।
19.
मिश्र बन्धुओं ने ' मिश्रबन्धु विनोद ' नामक इतिहास ग्रन्थ की रचना की । - मिश्र बन्धुओं में '
गणेश बिहारी '
, ' श्याम बिहारी '
तथा '
शुकदेव बिहारी मिश्र '
है ।
20.
मिश्रबन्धु
विनोद चार भागों में विभक्त है जिसके प्रथम तीन भाग का प्रकाशन सन् 1913 ई ० में
तथा चतुर्थ भाग का 1934 ई ० में प्रकाशन हुआ ।
21. 'मिश्रबन्धु विनोद ' में 4591 कवियों का जीवनवृत्त वर्णित है । इसमें अनेक अज्ञात कवियों को
प्रकाश में लाने के साथ ही उनके साहित्यिक महत्त्व को स्पष्ट करने का प्रयास किया
गया है । मिश्रबन्धु विनोद
में कवियों का सापेक्षिक महत्त्व
निर्धारित करने के लिए उनकी चार श्रेणियाँ बनाई गयी हैं ।
22. हिन्दी साहित्येतिहास लेखन की परम्परा में आचार्य
रामचन्द्र शुक्ल द्वारा रचित 'हिन्दी साहित्य का इतिहास'
का स्थान सर्वोच्च है
।
23. आचार्य शुक्ल का इतिहास मूलतः नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा प्रकाशित 'हिन्दी शब्दसागर' की भूमिका के
रूप में 'हिन्दी
- साहित्य का विकास' के नाम से सन् 1929 ई ० में प्रकाशित हुआ ।
24. 'हिन्दी साहित्य का इतिहास '
में एक हजार कवियों और लेखकों को शामिल किया गया है ।
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