Friday, 14 May 2021

हिन्दी साहित्येतिहास लेखन की परम्परा/इतिहास/UGC/NET/JRF/HINDI....

 हिन्दी साहित्येतिहास लेखन की परम्परा

1.      हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन का सबसे पहला प्रयास फ्रेंच विद्वान गार्सां द तासी ने किया । गार्सा द तासी ने अपनी पुस्तक की रचना फ्रेंच भाषा में की ।

2.      तासी ने अपनी पुस्तक का नाम 'इस्त्वार दलालितरेत्युर ऐन्दुई ऐन्दुस्तानी' रखा है । यह पुस्तक दो भागों में विभक्त है जिसका प्रकाशन क्रमशः 1839 ई ० तथा 1847 ई ० में हुआ । यह ग्रन्थ ग्रेट ब्रिटेन और आयरलैंड की प्राच्य साहित्य - अनुवादक समिति की ओर से पेरिस में मुद्रित किया गया ।

3.      इस्त्वार द ला लितरेत्युर ऐन्दुई ऐन्दुस्तानी ' द्वितीय संस्करण में तीन भागों में विभक्त हो गया, जिसका प्रकाशन सन् 1871 ई ० में हुआ । तासी ने अपनी पुस्तक में हिन्दी और उर्दू के अनेक कवियों का विवरण अंग्रेजी वर्णक्रमानुसार दिया है । गार्सा द तासी के ग्रन्थ में कुल 738 कवि हैं जिनमें हिन्दी के 72 तथा शेष उर्दू के हैं ।

4.      डॉ . लक्ष्मीसागर वार्ष्णेय ने तॉसी के ग्रन्थ का हिन्दी - अनुवाद ' हिन्दुई साहित्य का इतिहास ' नाम से प्रकाशन सन् 1952 ई ० में कराया ।

5.      तासी की पुस्तक ' इस्त्वार द ला लितरेत्युर ऐन्दुई ऐन्दुस्तानी ' में ' ऐन्दुई ' के लिए हिन्दवी ( हिन्दी ) और ' ऐन्दुस्तानी ' के लिए हिन्दुस्तानी ( उर्दू ) अर्थ प्रयुक्त होता है ।

6.      हिन्दी साहित्येतिहास लेखन की परम्परा में हिन्दी भाषा में लिखा प्रथम ग्रन्थ श्री महेशदत्त शुक्ल द्वारा रचित ' भाषा काव्य संग्रह ' है ।

7.      भाषा काव्य संग्रह का प्रकाशन सन् 1873 ई ० में नवल किशोर प्रेस , लखनऊ से हुआ ।

8.      शिव सिंह सेंगर ने ' शिव सिंह सरोज ' नाम से हिन्दी भाषा में दूसरा महत्त्वपूर्ण इतिहास ग्रन्थ रचा । 'शिव सिंह सरोज ' का प्रकाशन 1883 ई ० में हुआ । 'शिव सिंह सरोज ' में एक सहस्र ( 838 कवि ) भाषा कवियों ' का जीवन - चरित तथा उनकी कविताओं के उदाहरण दिये गये हैं ।

9.       सन् 1888 ई ० में एशियाटिक सोसायटी ऑफ बंगाल की पत्रिका के विशेषांक के रूप में ग्रियर्सन द्वारा रचित ' द माडर्न वनेक्युलर लिटरेचर ऑफ हिन्दुस्तान ' का प्रकाशन हुआ ।

10.  जार्ज ग्रियर्सन द्वारा रचित ' द माडर्न वर्नेक्युलर लिटरेचर ऑफ हिन्दुस्तान ' की सच्चे अर्थों में हिन्दी साहित्य का पहला इतिहास ग्रन्थ माना जाता है ।

11.  ग्रियर्सन ने अपने ग्रन्थ में 952 कवियों को शामिल किया है ।

12.  डॉ. किशोरीलाल गुप्त ने 'द माडर्न वर्नेक्युलर लिटरेचर ऑफ हिन्दुस्तान 'की ' हिन्दी साहित्य का प्रथम इतिहास' शीर्षक से हिन्दी अनुवाद किया । जिसका प्रकाशन सन् 1957 ई ० में हुआ

13.  ग्रियर्सन ने कवियों और लेखकों का कालक्रमानुसार वर्गीकरण तथा उनकी प्रवृत्तियों को स्पष्ट किया ।  

14.  विभिन्न युगों की काव्य प्रवृत्तियों की व्याख्या करते हुए उनसे सम्बन्धित सांस्कृतिक परिस्थितियों व प्रेरणा स्रोतों का उद्घाटन किया ।

15.  प्रस्तुत ग्रन्थ को विभिन्न काल - खण्डों में विभक्त किया गया है तथा प्रत्येक अध्याय काल विशेष का सूचक है ।

16.  जार्ज ग्रियर्सन ने प्रथम बार हिन्दी साहित्य का भाषा की दृष्टि से क्षेत्र -निर्धारण करते हुए संस्कृत - प्राकृत एवं अरबी - फारसी मिश्रित उर्दू को उससे पृथक् किया ।

17.  हिन्दी साहित्य के विकास क्रम का निर्धारण चारण काव्य , धार्मिक काव्य , प्रेमकाव्य , दरबारी काव्य के रूप में किया गया है ।

18.   16 वीं -17 वीं शताब्दी के युग ( भक्तिकाल ) को हिन्दी काव्य का स्वर्ण युग मानना ग्रियर्सन की महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है ।

19.   मिश्र बन्धुओं ने ' मिश्रबन्धु विनोद ' नामक इतिहास ग्रन्थ की रचना की । - मिश्र बन्धुओं में ' गणेश बिहारी ' , ' श्याम बिहारी ' तथा ' शुकदेव बिहारी मिश्र ' है ।

20.  मिश्रबन्धु विनोद चार भागों में विभक्त है जिसके प्रथम तीन भाग का प्रकाशन सन् 1913 ई ० में तथा चतुर्थ भाग का 1934 ई ० में प्रकाशन हुआ ।

21.  'मिश्रबन्धु विनोद ' में 4591 कवियों का जीवनवृत्त वर्णित है । इसमें अनेक अज्ञात कवियों को प्रकाश में लाने के साथ ही उनके साहित्यिक महत्त्व को स्पष्ट करने का प्रयास किया गया है ।  मिश्रबन्धु विनोद में कवियों का सापेक्षिक महत्त्व निर्धारित करने के लिए उनकी चार श्रेणियाँ बनाई गयी हैं ।

22.  हिन्दी साहित्येतिहास लेखन की परम्परा में आचार्य रामचन्द्र शुक्ल द्वारा रचित 'हिन्दी साहित्य का इतिहास' का स्थान सर्वोच्च है ।

23.  आचार्य शुक्ल का इतिहास मूलतः नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा प्रकाशित 'हिन्दी शब्दसागर' की भूमिका के रूप में 'हिन्दी - साहित्य का विकास' के नाम से सन् 1929 ई ० में प्रकाशित हुआ ।

24.  'हिन्दी साहित्य का इतिहास ' में एक हजार कवियों और लेखकों को शामिल किया गया है ।


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