अग्नि पथ
01.निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए...
1. कवि ने अग्निपथ किसके प्रतीक स्वरूप प्रयोग किया है ।
=> कवि ने अपनी
कविता ' अग्नि पथ '
में मानव के जीवन में आने वाली दिक्कतो और कठिनाइयों के स्वरूप में
व्यक्त किया है । व्यक्ति का जीवन संघर्ष - पूर्ण होता है , परतु
सबको संघर्ष कर चलना ही पड़ता है । और जीवन में आने वाली कठिनाइयों का सामना भी
करना पड़ता है , कवि का यह भी मानना है कि हमारा यह जीवन
कठिनाइयो और चुनौतियों से परिपूर्ण और सकटो से भरा हुआ है ।
2 ' मॉग मत, 'कर शपथ, 'लथपथ इन
शब्दों का बार बार प्रयोग कर कवि क्या कहना चाहता है ?
ð 'मॉग मत, ' कर शपथ'
, ' लथपथ इन शब्दो का प्रयोग बार बार करते हुए कवि ने जीवन में आने
वाली कठिनाइयो को सहन करते हुए आगे बढ़ने कि सलाह अर्थात प्रेरणा दी है। उनका कहना
है कि यदि रास्ते मुश्किलों से भरे हो तो घबराना नहीं चाहिए और न ही हार मानकर
रास्ता छोड़ना चाहिए| घबराना नहीं चाहिए और न ही हार मानकर
रास्ता छोडना चाहिए, समझाने के लिए कवि ने इन शब्दो का
प्रयोग बारबार किया है ।
3 'एक
पत्र-छाँह भी माँग मत ' इस पक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए ।
ð इस पक्ति से कवि का आशय यह है , कि चाहे राह मे कितनी भी मुश्किले या
कठिनाइयों आए परतु किसी की मदद या सहारे की अपेक्षा नहीं करनी चाहिए । मानव को
उनका सामना स्वय ही करते हुए अपने लक्ष्य की ओर बढ़कर उसे प्राप्त करना चाहिए ।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
भाव स्पष्ट कीजिए..
तून थमेगा कभी तून मुडेगा कभी
ð इन पक्तियो का भाव यह है, कि कष्टो से भरे इस राह में कभी रुकना और
थमना नहीं है। मानव जीवन कष्टो से भरा है , परतु मनुष्य को
केवल अपने लक्ष्य को ध्यान रखकर कठिनाइयो और चुनौतियों से न घबराकर बस आगे बढ़ते
जाना है और अपने लक्ष्य को प्राप्त करना है ।
चल रहा मनुष्य है अधु स्वेद रक्त से लथपथ, लथपथ लथपथ
=> प्रस्तुत पक्तियों में कवि का आव यह है , कि संघर्ष करते हुए राह में सबसे मनोरम एवं
सुदर यही होता है , कि मानव अपनी मेहनत का पसीना बहाते हुए
उस राह पर बढ़े चले जा रहा है । अपना पसीना बहाते हए , खून
से लथपथ होने पर भी बढ़ता चला जा रहा है । इससे उसकी हिम्मत और शक्ति भी कम हो
जाती है , पर उसे अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते जाना चाहिए और
सफलता प्राप्त करनी चाहिए ।
3. इस कविता का मूलभाव क्या है ? स्पष्ट कीजिए ।
=> 'अग्निपथ कविता कवि हरिवशराय बच्चन दवारा लिखी गई एक प्रेरणा देने वाली
कविता है. इस कविता में कवि मनुष्य को अपने संघर्षमयी जीवन में हिम्मत नहारने की
प्रेरणा देने की कोशिश कर रहे हैं । कवि जीवन को आग से भरा हुआ मानते हैं और सघर्ष
ही सघर्ष है किंतु मनुष्य को घबराना नहीं चाहिए और न ही इससे मुंह मोड़ना चाहिए
बल्कि बिना किसी सहारे की उम्मीद करे अपनी राह पर बढ़ते रहना चाहिए । अत मे ऐसे ही
संघर्ष करने वाले पुरुषों का जीवन सफल होता है , और लक्ष्य
की प्राप्ति होती
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