Saturday, 22 May 2021

अमीर खुसरो के मुकरियाः-ugc//net jrf//hindi literature//

जिस काव्य या कविता में प्रश्नों के साथ उत्तर भी दिए जाते है, ऐसे काव्य को मुकरियाँ कहते है ।

मुकरियों के लिए विकास का कार्य सर्वाधिक अमीर खुसरो के द्वारा किया गया है अमीर खुसरो द्वारा रचीत प्रमुख मुकरियाँ इस प्रकार है :-

ð रात समय वह मेरे आवे । भोर भये वह घर उठि जावे ।।

यह अचरज है सबसे न्यारा । ऐ सखि साजन ? ना सखि...तारा ।।  

 

ð नंगे पाँव फिरन नहिं देत । पाँव से मिट्टी लगन नहिं देत ।।

पाँव का चूमा लेत निपूता । ऐ सखि साजन ? ना सखि...जूता ।।

 

ð वह आवे तब शादी होय । उस बिन दूजा और न कोय ।।

मीठे लागें वाके बोल । ऐ सखि साजन ? ना सखि...ढोल ।।

 

ð जब माँगू तब जल भरि लावे । मेरे मन की तपन बुझावे ।।

मन का भारी तन का छोटा । ऐ सखि साजन ? ना सखि...लोटा ।।

 

ð बेर - बेर सोवतहिं जगावे । ना जायूँ तो काटे खावे ।।

व्याकुल हुई मैं हक्की बक्की । ऐ सखि साजन ? ना सखि...मक्खि ।।

 

ð अति सुरंग है रंग रंगीलो । है गुणवंत बहुत चटकीलो ।।

राम भजन बिन कभी न सोता । क्यों सखि साजन ? ना सखि...तोता ।।

 

ð अर्ध निशा वह आया भौन । सुंदरता बरने कवि कौन ।।

निरखत ही मन भयो अनंद । क्यों सखि साजन ? ना सखि...चंदा ।।

 

ð शोभा सदा बढ़ावन हारा । आँखिन से छिन होत न न्यारा ।।

आठ पहर मेरो मनरंजन । क्यों सखि साजन ? ना सखि...अंजन ।।

 

ð जीवन सब जग जासों कहै । वा बिनु नेक न धीरज रहै ।।

हरै छिनक में हिय की पीर । क्यों सखि साजन ? ना सखि...नीर ।।

 

ð बिन आये सबहीं सुख भूले । आये ते अँग - अँग सब फूले ।।

सीरी भई लगावत छाती । क्यों सखि साजन ? ना सखि...पाति ।।

 

ð लिपट लिपट के वा के सोई, छाती से छाती लगा के रोई

दांत से दांत बजे तो ताड़ा ऐ सखि साजन ? ना सखि...जाड़ा !.

 

ð बाला था जब सबको भाया, बड़ा हुआ कछ काम न आया ।

खुसरो कह दिया उसका नाव , अर्थ करो नहीं छोड़ो गाँव ।। उत्तर - दिया ।

 

ð नारी से तू नर भई और याम बरन भई सोय ।

गली - गली कूकत फिरे कोइलो - कोइलो लोय ।। उत्तर - कोयल ।

 

ð एक नार तरवर से उतरी , सर पर वाके पांव

ऐसी नार कुनार को , मैं ना देखन जाँव ।। उत्तर - मैना ।

 

ð सावन भादों बहुत चलत है माघ पूस में थोरी ।

अमीर खुसरो यूँ कहें तू बुझ पहेली मोरी । उत्तर - मोरी ( नाली )

 

ð श्याम बरन की है एक नारी, माथे ऊपर लागै प्यारी ।

जे मानुस इस अरथ को खोले, कुत्ते की वह बोली बोले ।। उत्तर- भौं ( भौंए आँख के ऊपर होती हैं । )

 

ð एक गुनी ने यह गुन कीना , हरियल पिंजरे में दे दीना ।

देखा जादूगर का हाल , डाले हरा निकाले लाल । उत्तर- पान

 

 

ð एक थाल मोतियाँ से भरा , सबके सर पर औंधा धरा ।

चरों ओर वह थाली फिरे , मोती उससे एक न गिरे । उत्तर - आसमान

 

ð गोली मटोल और छोटा - मोटा , हर दम वह तो जमीं पर लोटा ।

खुसरो कहे नहीं है झूठा , जो न बूझे अकिल को खोटा ।। उत्तर- लोटा ।

 

ð एक नार कुँए में रहे , वका नीर खेत में बहे ।

जे कोई वाके नीर को चाखे , फिर जीवन की आस न राखे ।। उत्तर - तलवार

 

ð एक जानवर रंग रंगीला , बिना मारे वह रोवे ।

डस के सिर पर तीन तिलाके , बिन बताए सोवे ।। उत्तर

 

ð चाम मांस वाके नहीं नेक , हाड़ मास में वाके छेद ।

मेहि अचंभो आवत ऐसे , वामे जीव बसत है कैसे ।। उत्तर - पिंजड़ा ।

 

ð कभू करत है मीठे बैन, कभी करत है रूखे नैंन ।

ऐसा जग में कोऊ होता , ऐ सखि साजन न सखि ! उत्तर- तोता ।।

No comments:

Post a Comment

HINDI UGC NET MCQ/PYQ PART 10

HINDI UGC NET MCQ/PYQ हिन्दी साहित्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तरी-- " ईरानी महाभारत काल से भारत को हिन्द कहने लगे थे .--पण्डित रामनरेश त्रिप...