UGC/NET/JRF/ HINDI/ SHAHITYA/रामचन्द्र शुक्ल कथन -
हिन्दी पहली मौलिक कहानी के बारे में... यदि ' इन्दुमती ' किसी बंगला कहानी की छाया
नहीं है तो हिन्दी की यही पहली मॉलिक कहानी ठहरती है इसके उपरान्त ग्यारह वर्ष का समय
' फिर ' दुलाई वाली ' का श्रृंगारनंबर आता है
।
निबन्ध के बारे में ....यदि गदय कवियों
या लेखकों की कसौटी है , तो निबन्ध गदय की कसौटी है भाषा की पूर्ण शक्ति का विकास निबन्धों
में ही सबसे अधिक सन्भव होता है उपन्यासकार के बारे में.. आलस्य का जैसा त्याग उपन्यासकारों
में देखा गया है वैसा और किसी वर्ग के हिन्दी लेखकों में नहीं ।
देशभाषा मिश्रित अपभंश या पुरानी हिन्दी सिदों की उदधृत रचनाओं
की भाषा ' देशभाषा ' मिश्रित अपभ्रंश या ' पुरानी हिन्दी की काव्य भाषा है ।
नाथपंथ के जोगियों की भाषा ? नाथपंथ के जोगियों की
भाषा ' सधुक्कड़ी भाषा ' थी । कल्पना का व्यापार ? काव्य की पूर्ण अनुभूति के लिए कल्पना
का व्यापार कवि और श्रोता दोनों के लिए अनिवार्य है ।
वैर क्रोध का अचार या मुरब्बा है ।
काव्यानुभूति की जटिलता ? काव्यानुभूति की जटिलता चित्तवृत्तियों की संख्या निर्भर नहीं
, बल्कि संवादी - विसंवादी
वृत्तियों के द्वन्द्व पर आधारित है गदय का आविर्भाव ...
आधुनिक काल में गद्य का आविर्भाव सबसे
प्रधान घटना है करुणा ? करुणा दुखात्मक वर्ग में आनेवाला मनोविकार है । ? करुणा संत का सौदा नहीं
है ? करुण रस प्रधान नाटक के
दर्शकों के आँसुओं के सम्बन्ध में यह कहना कि आनन्द में भी तो ऑस् आते हैं , केवल बात टालना है दर्शक
वास्तव में दुख का ही अनुभव करते हैं । हृदय की मुक्त दशा में होने के कारण वह दुख
भी रसात्मक होता है ।
नाद सौन्दर्य ? नाद सौन्दर्य से कविता
की आयु बढ़ती है । कर्मक्षेत्रका सौन्दर्य ? विरुदों का सामंजस्य कर्मक्षेत्र का
सौन्दर्य है । सौन्दर्य की वस्तुगत सता ? सौन्दर्य की वस्तुगत सता होती है , इसलिए शुद्ध सौन्दर्य
नाम की कोई चीज़ नहीं होती । धर्म की धाराएँ..जब तक भाषा बोलचाल में थी तब तक वह ' भाषा ' या ' देशभाषाही कहलाती रही
, जब वह भी साहित्य की भाषा
हो गई तब उसके लिए ' अपभ्रंश ' शब्द का व्यहार होने लगा ।
बीसलदेव रासो के बारे में आचार्य शुक्ल
ने कहा है कि भाषा की परीक्षा करके देखते हैं तो वह साहित्यिक नहीं है , राजस्थानी है .... यह
घटनात्मक काव्य नहीं है , वर्णनात्मक है ।
बीसलदेव रासो में आए बारह से बहोतरा
का स्पष्ट अर्थ 1212 है ।
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