Saturday, 15 May 2021

 UGC/NET/PYQ/HINDI/MCQ 2018


स्वयंभू ने अपनी भाषा को ' देशी भाषा ' कहा है ।

स्वयंभू के 'पउमचरिउ ' को उसके पुत्र-- त्रिभुवन ने पूरा किया ।

'पउमचरिउ' में राम का चरित्र विस्तार से वर्णित है ।

शिवसिंह सेंगर ने अपने ग्रन्थ 'शिवसिंह सरोज' में किसी पुरानी अनुश्रुति के आधार पर सातवीं शताब्दी के पुष्य या पुंड कवि को हिन्दी का प्रथम कवि माना है ।

आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के अनुसार- " यह पुष्य सम्भवतः अपभ्रंश का प्रसिद्ध कवि पुष्यदंत है जिसका आविर्भाव 9 वीं शती में हुआ । "

सर्वमान्य धारणा है कि पुष्यदंत का आविर्भाव 972 ई ० ( 10 वीं शती ) में हुआ । - पुष्यदंत की प्रमुख रचनाएँ हैं- ( 1 ) तिरसठी महापुरिस गुणालंकार , ( 2 ) णयकुमारचरिउ तथा ( 3 ) जसहर चरिउ । ७ पुष्यदंत के ' तिरसठी महापुरिस गुणालंकार ' को ही महापुराण नाम से जाना जाता है । ० महापुराण में 63 महापुरुषों का जीवन चरित वर्णित है । ७ पुष्यदंत ने अपने चरित काव्यों में चौपाई छंद का प्रयोग किया है । पुष्यदंत ने साहित्य की रचना विशुद्ध धार्मिक भाव से किया है । अपभ्रंश और अवहट्ठ में चउपई ( चौपाई ) 15 मात्राओं का छन्द था । पुष्यदंत को हिन्दी का भवभूति कहा जाता है । शिवसिंह सेंगर ने पुष्य कवि को ' भाखा की जड़ ' कहा है ।

पुष्यदंत ने स्वयं को ' अभिमान मेरु ' , ' काव्यरलाकर ',कविकुल तिलक' आदि उपाधियों से विभूषित किया है । हरिषेण ने अपनी' धम्म-परीक्खा ' में अपभ्रंश के तीन कवि माने हैं- ( 1 ) चतुर्मुख, ( 2 ) स्वयंभू और ( 3 ) पुष्यदंत ।

स्वयंभू ने चतुर्मुख को पद्धड़िया बंध का प्रवर्तक तथा सर्वश्रेष्ठ कवि कहा है ।

पद्धरी 16 मात्रा का मात्रिक छंद है । इस छंद के नाम पर इस पद्धति पर लिखे जाने वाले काव्यों को पद्धड़िया बंध कहा गया है ।

पुष्यदंत मान्यखेट के प्रतापी राजा कर्ण के महामात्य भीम के सभा कवि थे ।

धनपाल वाक्यपतिराज मुंज के कवि सभा रत्न थे जिन्हें मुंज ने ' सरस्वती ' को उपाधि दी थी । अपभ्रंश के तीसरे प्रमुख कवि धनपाल ने दसवीं शती में ' भविसयत्तकहा ' की रचना की ।

712 वीं शताब्दी में जिनदत्त सूरी द्वारा लिखित ग्रन्थ ' उपदेश रसायन रास ' ( 1114 ई ० ) को जैन रास काव्य परम्परा का प्रथम ग्रन्थ माना जाता है ।

'उपदेश रसायन रास ' अपभ्रंश भाषा का प्रथम रास काव्य है ।

रास काव्य परम्परा का हिन्दी में प्रवर्तन करने का श्रेय ' भरतेश्वर बाहुबली रास ' ( 1184 ई ० ) के रचयिता श्री शालिभद्र सूरी को है ।

'उपदेश रसायनरास' पद्यों का नृत्य गीत रासलीला काव्य है ।  

अब्दुल रहमान द्वारा लिखित 'संदेश रासक' पहला धर्मेतर रास ग्रन्थ है ।  

देशी भाषा में किसी मुसलमान द्वारा लिखित प्रथम काव्य ग्रन्थ 'संदेशरासक ' है ।

आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने अपने इतिहास में आदिकालीन रचनाओं को दो वर्गों के विभक्त किया है- (1 ) अपभ्रंश और ( 2 ) देशभाषा ( बोलचाल ) की रचनाएँ ।

आचार्य शुक्ल ने निम्नांकित 12 रचनाओं को ही साहित्य में स्थान दिया

( क ) अपभ्रंश की रचनाएँ-

( 1 ) विजयपाल रासो , ( 2 ) हम्मीर रासो , ( 3) कीर्तिलता और ( 4 ) कोर्ति पताका ।

 ( ख ) देशभाषा काव्य ' की रचनाएँ-

( 1 ) खुमान रासो , ( 2 ) बीसलदेव रासो , ( 3 ) पृथ्वीराज रासो , ( 4 ) जयचन्द्र प्रकाश , ( 5 ) जयमयंक जस चन्द्रिका , ( 6 ) परमाल रासो ( आल्हा का मूल रूप ) , ( 7 ) खुसरो की पहेलियाँ और ( 8 ) विद्यापति पदावली ।

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