UGC/NET/PYQ/HINDI/MCQ 2018
स्वयंभू ने अपनी भाषा को ' देशी भाषा ' कहा है ।
स्वयंभू के 'पउमचरिउ ' को उसके पुत्र-- त्रिभुवन ने पूरा किया ।
'पउमचरिउ' में राम का चरित्र विस्तार से वर्णित है ।
शिवसिंह सेंगर ने अपने ग्रन्थ 'शिवसिंह सरोज' में किसी पुरानी अनुश्रुति के आधार पर
सातवीं शताब्दी के पुष्य या पुंड कवि को हिन्दी का प्रथम कवि माना है ।
आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के अनुसार- " यह पुष्य
सम्भवतः अपभ्रंश का प्रसिद्ध कवि पुष्यदंत है जिसका आविर्भाव 9 वीं शती में हुआ ।
"
सर्वमान्य धारणा है कि पुष्यदंत का आविर्भाव 972 ई ० ( 10
वीं शती ) में हुआ । - पुष्यदंत की प्रमुख रचनाएँ हैं- ( 1 ) तिरसठी महापुरिस
गुणालंकार , ( 2 ) णयकुमारचरिउ तथा ( 3 ) जसहर चरिउ । ७ पुष्यदंत के '
तिरसठी महापुरिस
गुणालंकार ' को ही महापुराण नाम से जाना जाता है । ० महापुराण में 63
महापुरुषों का जीवन चरित वर्णित है । ७ पुष्यदंत ने अपने चरित काव्यों में चौपाई
छंद का प्रयोग किया है । पुष्यदंत ने साहित्य की रचना विशुद्ध धार्मिक भाव से किया
है । अपभ्रंश और अवहट्ठ में चउपई ( चौपाई ) 15 मात्राओं का छन्द था । पुष्यदंत को
हिन्दी का भवभूति कहा जाता है । शिवसिंह सेंगर ने पुष्य कवि को '
भाखा की जड़ '
कहा है ।
पुष्यदंत ने स्वयं को '
अभिमान मेरु '
, ' काव्यरलाकर ',कविकुल तिलक' आदि उपाधियों से विभूषित किया है । हरिषेण ने अपनी'
धम्म-परीक्खा '
में अपभ्रंश के तीन
कवि माने हैं- ( 1 ) चतुर्मुख, ( 2 ) स्वयंभू और ( 3 ) पुष्यदंत ।
स्वयंभू ने चतुर्मुख को पद्धड़िया बंध का प्रवर्तक तथा
सर्वश्रेष्ठ कवि कहा है ।
पद्धरी 16 मात्रा का मात्रिक छंद है । इस छंद के नाम पर इस
पद्धति पर लिखे जाने वाले काव्यों को पद्धड़िया बंध कहा गया है ।
पुष्यदंत मान्यखेट के प्रतापी राजा कर्ण के महामात्य भीम के
सभा कवि थे ।
धनपाल वाक्यपतिराज मुंज के कवि सभा रत्न थे जिन्हें मुंज ने
'
सरस्वती '
को उपाधि दी थी । अपभ्रंश
के तीसरे प्रमुख कवि धनपाल ने दसवीं शती में '
भविसयत्तकहा '
की रचना की ।
712 वीं शताब्दी में जिनदत्त सूरी द्वारा लिखित ग्रन्थ '
उपदेश रसायन रास '
( 1114 ई ० ) को जैन
रास काव्य परम्परा का प्रथम ग्रन्थ माना जाता है ।
'उपदेश रसायन रास ' अपभ्रंश भाषा का प्रथम रास काव्य है ।
रास काव्य परम्परा का हिन्दी में प्रवर्तन करने का श्रेय '
भरतेश्वर बाहुबली रास
'
( 1184 ई ० ) के रचयिता
श्री शालिभद्र सूरी को है ।
'उपदेश रसायनरास' पद्यों का नृत्य गीत रासलीला काव्य है ।
अब्दुल रहमान द्वारा लिखित 'संदेश रासक' पहला धर्मेतर रास ग्रन्थ है ।
देशी भाषा में किसी मुसलमान द्वारा लिखित प्रथम काव्य
ग्रन्थ 'संदेशरासक
'
है ।
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने अपने इतिहास में आदिकालीन रचनाओं
को दो वर्गों के विभक्त किया है- (1 ) अपभ्रंश और ( 2 ) देशभाषा ( बोलचाल ) की
रचनाएँ ।
आचार्य शुक्ल ने निम्नांकित 12 रचनाओं को ही साहित्य में
स्थान दिया
( क ) अपभ्रंश की रचनाएँ-
( 1 ) विजयपाल रासो , ( 2 ) हम्मीर रासो , ( 3) कीर्तिलता और ( 4 ) कोर्ति पताका ।
( ख ) देशभाषा
काव्य ' की
रचनाएँ-
( 1 ) खुमान रासो , ( 2 ) बीसलदेव रासो , ( 3 ) पृथ्वीराज रासो , ( 4 ) जयचन्द्र प्रकाश , ( 5 ) जयमयंक जस चन्द्रिका ,
( 6 ) परमाल रासो (
आल्हा का मूल रूप ) , ( 7 ) खुसरो की पहेलियाँ और ( 8 ) विद्यापति पदावली ।
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