Friday, 7 May 2021

UGC NET JRF- “हरिवंश राय बच्चन”

जन्म- 27 नवम्बर 1907 इलाहाबाद 
अभिभावक - प्रताप नारायण श्रीवास्तव, सरस्वती देवी 
पत्नी - श्यामा बच्चन, तेजी सूरी 
हालावाद के प्रवर्तक 
जीविका- कवि, लेखक, प्राध्यापक 
भाषा- अवधी, हिन्दी मृत्यु -18 जनवरी 2003...


बच्चन जी 1942-1952 तक इलाहाबाद विश्वविद्यालय में हिंदी प्राध्यापक रहे और बाद में वे आकाशवाणी के साहित्यिक कार्यक्रमों से संबद्धित र हे, फिर विदेश मंत्रालय में हिंदी विशेषज्ञ के पद पर काम किया । उन्होंने अन्य कवियों की भाँति छायावाद की लाक्षणिक वक्रता के बजाय सीधी-सादी जीवंत भाषा और संवेदन सिक्त गेय शैली में अपनी बात कही। अपनी व्यक्तिगत जीवन में घटी घटनाओं की सहज अनुभूति को ईमानदारी से बच्चन जी ने अभिव्यक्त किया। यही विशेषता हिंदी काव्य संसार में उनकी विलक्षण लोकप्रियता का मूल आधार है।

मध्ययुगीन फ़ारसी के कवि उमर खय्याम का मस्तानेपन हरिवंश राय बच्चन की प्रारंभिक कविताओं विशेषकर मधुशाला में एक अद्भुत रूप में नजर आते है।

जीवन एक तरह का मधुकलश है, दुनिया मधुशाला है, कल्पना साकी और कविता वह प्याला जिसमें ढालकर जीवन पाठक को पिलाया जाता है।

उनकी कविता का एक घुट जीवन का एक घुंट है । पूरी तन्मयता से जीवन का घूट भरे, कड़वा-खट्टा भी सहज भाव से स्वीकार करें तो अंतत : एक 4 सूफ़ियाना-सी बेखयाली मन पर छाएगी, एक के बहाने सारी दुनिया से इश्क हो जाएगा और तेरा-मेरा के समस्त झगड़े काफूर हो जाएंगे। इसे बच्चन का हालावादी दर्शन कहते हैं। यह बात ध्यान देने योग्य है कि उनकी युगबोध - संबंधी कविताएँ जो बाद में लिखी गई, उनका मूल्यांकन अभी तक कम ही हो पाया है।

बच्चन का कवि-रूप सबसे विख्यात है, पर उन्होंने कहानी, नाटक, डायरी आदि अन्य गद्य विधाएँ बेहतरीन ढंग से लिखी खासकर उन्होंने अपनी आत्मकथा जो लिखी है,उसमें अपनी पूरी ईमानदारी, आत्मस्वीकृति और प्रांजल शैली के कारण आज भी निरंतर पठनीय योग्य बनी हुई है ।

आत्मकथाएँ:-

. क्या भूलूँ क्या याद करूँ (1969), बिड़ला फाउण्डेशन ने उनकी आत्मकथा के लिये उन्हें सरस्वती सम्मान दिया था।

. नीड़ का निर्माण फिर (1970),

. बसेरे से दूर (1977),

. दशद्वार से सोपान तक (1985)


कविता संग्रह :- 

. तेरा हार (1929),(प्रथम)

. मधुशाला (1935),

. मधुबाला (1936),

. मधुकलश (1937),

. निशा निमंत्रण (1938),

. एकांत संगीत (1939),                     

. आकुल अंतर (1943),

. सतरंगिनी (1945),

. हलाहल (1946),

. बंगाल का अकाल (1946),

. खादी के फूल (1948),

. मिलन यामिनी (1950),

.चार खेमे चौंसठ खूंटे (1962),

.दो चट्टानें (1965),

.बहुत दिन बीते (1967),

.कटती प्रतिमाओं की आवाज़ (1968),

.उभरते प्रतिमानों के रूप (1969),

 

.पुरस्कार/सम्मान :-

- इन्हे 1968 में ही सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार तथा एफ्रो एशियाई सम्मेलन के कमल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।

- इनकी कृति 'दो चट्टाने' को 1968 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मनित किया गया था।

- बच्चन को भारत सरकार द्वारा 1976 में साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।

विशेष तथ्य:-

- यह मूलतः आत्मानुभूति के कवि माने जाते हैं|

- इनको 'क्षयी रोमांस का कवि' भी कहा जाता है|

- इनको 1966 ई. में राज्यसभा सदस्य मनोनीत किया गया था|

- सन 1932 ई. में इन्होंने अपना प्रारंभिक साहित्यिक जीवन 'पायोनियर' के संवाददाता के रूप में प्रारंभ किया था|

 

 

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